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"राग पीलू - हेमा मालिनी"

  • dileepbw
  • Sep 4, 2023
  • 4 min read

"राग पीलू - हेमा मालिनी"

© दिलीप वाणी,पुणे

उदयने ढाब्यावर जमलेल्या संगीत मैफिलीत केवळ

"हेमा मालिनी" या एका शब्दावरून उस्ताद झाकिर हुसेन यांनी सुरू केलेली "संगीत धमाल" ऐकून कान तृप्त झाले. "हेमा मालिनी" बरोबर अन्य कलाकारांची नावे जोडत जोडत ही "रागदारी" चांगलीच रंगत गेली व ती थेट "राग पीलू" पर्यंत येऊन पोहोचली.काय आहे हा राग ? वाचा.

१.यह राग पीलू की राग वाचक स्वर संगती है।

२.इस राग में कोमल गंधार और मन्द्र सप्तक के शुद्ध निषाद पर विश्रांति दी जाती है, जिससे पीलू राग एकदम प्रदर्शित होता है।

३.इस राग में कोमल निषाद के साथ धैवत शुद्ध और शुद्ध निषाद के साथ धैवत कोमल लिया जाता है।

४.यह चंचल प्रकृति का राग है। यह करुणा तथा भक्ति रस प्रधान राग है। इसलिये यह राग "ठुमरी" व "भजन" के लिए उपयुक्त है। इस राग का विस्तार मन्द्र और मध्य सप्तक में विशेष रूप से किया जाता है।

५.यह स्वर संगतियाँ राग पीलू का रूप दर्शाती हैं -

सा ; ग१ रे सा ,नि ; ,म ,प ,नि सा ग१ रे सा ; सा ,नि ,ध१ ,प ; ,प ,नि सा ग१ ; ग१ म प (म)ग१ ; ग१ (रे)सा ,नि ; सा ; सा ग ; ग म ग१ (रे)सा ; सा ग म प ; नि१ ध प ; ग म ध प ग१ रे सा ,नि ; सा ,नि सा रे ; सा ,नि ,ध ,प ; ,म ,प ,नि ,नि सा ;

६.थाट: काफी

प ,नि सा ग१ ; ग१ रे सा ,नि ; ,नि सा -

७.शास्त्रीय उपशास्त्रीय चित्रपट व लोक संगीतमें सामान्य रूप से जान प्रचलित राग पीलू को काफी थाट का जन्य राग मन गया है। जब के विद्वान संगीतज्ञ इस राग में १२ सुरो का प्रयोग करते है। 

८.अधिकतर रागो में स्वर का शुद्ध रूप आरोह में और कोमल अवरोह में प्रयोग किया जाता है लेकिन राग पीलू इस नियम का अपवद है। 

९.राग पीलू में कई बार स्वर का शुद्ध रूप अवरोह में और कोमल रूप आरोह में दिखाई पड़ता है।  

१०.राग पीलू का वादी स्वर गांधार है तथा नि को सम्वादी माना गया है।  

११.गायन समय दिन का तीसरा प्रहार है किन्तु प्रचार में इसे किसी भी समय गया जाता है।  

१२.इस राग में अधिकतर भजन "टप्पा ठुमरी" गायी बजे जाती है। विलम्बित ख्याल और ध्रुपद धमार इसमें सुनाई नहीं पड़ते है। 

१२.राग पीलू की जाती औडव - सम्पूर्ण है, किन्तु राग चलन में सात स्वर का प्रयोग करते है। 

आरोह - नि सा ग म प नि सां 

अवरोह - सां नि ध प, ग म ध प, ग s रे सा 

पकड़ - नि सा ग $ रे सा नि $ ध प म प नि सा 

वादी: ग॒

संवादी: नि

१३.यह "चंचल" प्रकृति का राग है। यह "करुणा" तथा "भक्ति" रस प्रधान राग है। इसलिये यह राग ठुमरी व भजन के लिए उपयुक्त है। इस राग का विस्तार मन्द्र और मध्य सप्तक में विशेष रूप से किया जाता है। यह स्वर संगतियाँ राग पीलू का रूप दर्शाती हैं -

सा ; ग१ रे सा ,नि ; ,म ,प ,नि सा ग१ रे सा ; सा ,नि ,ध१ ,प ; ,प ,नि सा ग१ ; ग१ म प (म)ग१ ; ग१ (रे)सा ,नि ; सा ; सा ग ; ग म ग१ (रे)सा ; सा ग म प ; नि१ ध प ; ग म ध प ग१ रे सा ,नि ; सा ,नि सा रे ; सा ,नि ,ध ,प ; ,म ,प ,नि ,नि सा ;

१४.राग पीलू की बन्दिशें -

छोटा ख्याल - साँवरिया ने मुरली बजाई

ताल - त्रिताल

छोटा ख्याल - उन संग लागी हो अखियाँ

ताल - त्रिताल

दादरा - बाँके सलोने मद भरे नैना

ताल - दादरा

ठुमरी - नैना कजर बिन कारे

ताल - त्रिताल

ठुमरी - गोरी तोरे नैना जुलम करें

ताल - त्रिताल

सरगम - ग सा ग म प ध प

ताल - रूपक

१५.वादी: ग॒

संवादी: नि

थाट: काफी

आरोह: ऩिसागमपनि

अवरोह: सांनि॒धपग॒ रेसा

पकड़: ऩिसाग॒ ऩिसा प़ध़॒ऩिसा

रागांग: पूर्वांग

जाति: औढव-संपूर्ण

समय: दिन का तृतीय प्रहर

विशेष: सप्तक के बारहो स्वरों का प्रयोग होता है। उभय ऋषभ गन्धार निषाद का उपयोग। 

१६.राग पीलू ओ.पी.नैय्यर का पसंदीदा राग था।

१७.राग पीलू के गाने:-

- Baharon ne mera chaman

-Aap ke pehlu mein aakar ro diye

- Rimjhim gire saawan

- Jaaiye aap kahaan jaayenge

- He rom rom mein basne waale Ram

- Humne dekhi hai un aankhon ki

- Tu jo mere sur mein

- Holi aayee re Kanhaai

- Naa jaao saiyaan chudaa ke baiyaan

- Tu jo mere sur mein

- Nainheen ko Raah Dikha Prabhu

-ITNI SHAKTI HAME DENA DATA

- Baharon ne mera chaman

- Rimjhim gire saawan

- Holi aayee re Kanhaai rang chalke

- Baharon ne mera chaman

- Rang dil ki dhadkan

- Ajhun na aaye baalma

- Aankhon ke saagar

- Surmayee ankhion mein

- Aap ke pehlu mein aakar

- Ae hawa mere sang sang chal

- Ab ke baras bhejo

- Jaiye Aap Kahan Jayenge

- Tere bin soone nain hamaare

- पिया पिया ना लागे मोरा जिया...

- तेरे ये चुपके(आशा भोसले,मधुबाला,भारत भूषण)

- मैं सोया अंखियां मीचे(मोहम्मद रफी,आशा भोसले)

- बरसो रे हाये बैरी बदरवा बरसो रे(आशा भोसले,मधुबाला,भारत भूषण)

- छम छम घुंघरू बोले(आशा भोसले,मधुबाला)

- पिया पिया ना लगे मोरा जिया(आशा भोसले,मधुबाला,भारत भूषण)

- जल्द जा पुकार(आशा भोसले,भारत भूषण)

- बन दे प्रभुजी(मोहम्मद रफी,आशा भोसले,मधुबाला,भारत भूषण)

- एक परदेसी मेरा दिल ले गया(मोहम्मद रफी, आशा भोसले,मधुबाला,भारत भूषण)

- मेरी छोड़ दे कलाही(मोहम्मद रफी,आशा भोसले)

- तुम रूठ के मत जाना(मोहम्मद रफी,आशा भोसले)

- शोक शोख आंखें(आशा भोसले,निशि,कोयल, भारत भूषण)

- पिया पिया ना लागे मोरा जिया

- फागुन झूला

- झूले में पवन के आई बहार

- मत मारो शाम पिचकारी

- सूर ना सजे क्या गाऊ मै

- तेरे बीन सूने नयन हमारे

- तू जो मेरे सूरमे सूर मिला दे

- परदेसीयोंसे ना अखियाॅं मिलाना

- ना झटको झुल्फसे पानी

- तेरे प्यारका आसरा चाहता हूॅं

- आजकी रात बडी शोख बडी नटगट हैं

- धीरेसे आजा अखियनमे

- Dhadakte dil ki tamanna ho mera pyaar ho tum

असा हा ओ.पी.नय्यर साहेबांचा आवडता "राग पीलू" !

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