"Manjit's Manjinopathy - राग-रागिनी वर्गीकरणके चार मत"
- dileepbw
- Sep 3, 2023
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"Manjit's Manjinopathy - राग-रागिनी वर्गीकरणके चार मत"
©दिलीप वाणी,पुणे
मनजीत गटावर सक्रीय झाल्यापासून गटावरील सगळेच "संगीतप्रेमी" एकदम जागरूक झाले आहेत.उदयच्या रोजच्या अप्रतिम गीतांना इतके दिवस मनातल्या मनात "दाद" देणारे आता चक्क संगीतावर भाष्य करू लागले आहेत.ही आनंदाची गोष्ट आहे.शांतारामने कवितेत म्हटल्याप्रमाणे "दिलकी खिचडी पकाये मंजीत दिलवाला" या खिचडीत "साधू वाणी डाले पानी और मिर्च मसाला" या काव्यपंक्तीप्रमाणे आज "Manjit's Manjinopathy - राग-रागिनी वर्गीकरण" सादर करतो.
१.राग-रागिनी पद्धतिको मानने वालोंके मुख्य रूप से चार मत है :-
शिवमत ,कल्लिनाथ मत,हनुमनमत तथा भरत मत।
२.शिवमत को मानने वालों के लिए दामोदर कृत संगीत दर्पण नामक ग्रन्थ महत्वपूर्ण है। शिवमत और कल्लिनाथ मत दोनों में ६-६ रागों में ३६-३६ रागिनियाँ बनती हैं,परन्तु रागों के नाम एक होने के बावजूद भी दोनों के रागिनियों में काफी भेद है।
३.पंडित लोचन के ग्रन्थ "रागतरंगिणी" में हनुमनमत के अनुसार राग-रागिनियों के नाम व ध्यान मिलते हैं। ये "संगीत दर्पण" के राग ध्यानो व नामो के समान है।
४.शिवमत - संगीत दर्पणके अनुसार ६ रागों की ३६ रागिनियों को स्वीकार किया गया है ।प्रत्येक की ६-६ रागिनियाँ होती हैं। उन ६ रागों और ३६ रागिनियोंका विवरण नीचे दिया गया है।
श्री- मालश्री , त्रिवेणी , गौरी , केदारी , मधुमाधवी , पहाड़िका ।
बसन्त- देशी , देवगिरी , वराटी , टोड़िका , ललिता , हिंदोली ।
भैरव- भैरवी , गुजरी , रामकिरी , गुणकिरी , बंगाली , सैंधवी ।
पंचम- विभाषा , भूपाली , कर्णाटी , नड़हंसिका , पालवी , पटमंजरी ।
वृहन्नाट- कामोदी , कल्याणी , अमरी , नाटिका , सारंगी , नट्टहम्बीरा ।
मेघ- मल्लारी , सोरठी , सावेरी , कोशिकी , गंधारी , हरश्रृंगार ।
५.हनुमान – इस मत के अनुसार ६ राग और प्रत्येक राग की ५-५ रागिनियाँ होती हैं। इस मत के ६ रागों और ३० रागिनियों के नाम निम्नांकित तालिका में दिए जाते हैं।
भैरव- मध्यामादि , भैरवी , बंगाली , बराटिका , सैंधवी ।
कौशिक- तोड़ी,खम्बावती,गोरी,गुणक्री,ककुभ ।
हिंदोल- बेलावली,रामकिरी,देशाटया,पख्मंजरी, ललिता ।
दीपक- केदारी,कानड़ा,देशी,कामोदी,नाटिका ।
श्री- बासन्ती,मालवी,मालश्री,धनासिक,आसावरी ।
मेघ- मल्लारी,देशकारी,भूपाली,गुर्जरी,टंका ।
६.कल्लिनाथमतकी ६ राग और ३६ रागिनियाँ इस प्रकार हैं।
श्री- गौरी,कोलाहल,धवल,वरोराजी,मालकोश,
देवगंधार ।
बसन्त- अधाली,गुणकली,पटमंजरी,गौड़गिरी धांकी,देवसाग ।
भैरव- भैरवी,गुर्जरी,बिलावली,बिहाग,कर्नाट , कानड़ा ।
पंचम- त्रिवेणी,हस्ततरेतहा,अहीरी,कोकम,बेरारी, आसावरी ।
नटनारायण- तिबन्की,त्रिलंगी,पूर्वी,गांधारी,रामा, सिंधु
मेघ- बंगाली,मधुरा,कामोद,धनाश्री,देवतीर्थी,दिवाली ।
७.भरत की ६ राग और ३६ रागिनियाँ इस प्रकार हैं।
भैरव- मधुमाधवी,ललिता,बरोरी,भैरवी,बहुली ।
मालकोश- गुर्जरी,विद्यावती,तोड़ी,खम्बावती, ककुभ ।
हिंडोल- रामकली,मालवी,आसावरी,देवरी,केकी ।
दीपक- केदारी,गौरी,रुद्रावती,कामोद,गुर्जरी ।
श्री- सैंधवी,काफी,ठुमरी,विचित्रा,सोहनी ।
मेघ- मल्लारी,सारंग,देशी,रतिवल्लभा,कानरा ।




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