top of page

"माझा नातू अगस्त्य - भाग २०"

  • dileepbw
  • Sep 5, 2023
  • 2 min read

"माझा नातू अगस्त्य - भाग २०"

ब्रिटनमधे जन्माला आलेल्या माझ्या नातवाचे नाव ब्रिटनचे भारतीय मूळाचे पंतप्रधान "ऋषी सुनक" यांच्या प्रमाणेच भारतीय संस्कृतीशी बांधिलकी असणारे असावे या विचाराने शोधून शोधून "अगस्त्य" असे ठेवले.आज माझा नातू एक महिन्याचा झाला.त्या निमित्ताने "अगस्त्य" मुनींच्या चरित्रातील काही महत्वाच्या घटना सांगतो.

१.महर्षि अगस्त्य एक महान ऋषि थे। दक्षिण भारत में उनकी लोकप्रियता अधिक है। उन्होंने कई उल्लेखनीय कार्य किए थे। ऋषि अगस्त्य के वंशजों को अगस्त्य वंशी कहा गया है। ऋग्वेद में इनका उल्लेख मिलता है।

२.ऋषि अगस्त्य वशिष्ठ के भाई थे। कुछ लोग इन्हें ब्रह्मा का पुत्र मानते हैं। महर्षि अगस्त्य को पुलस्त्य ऋषि का पुत्र माना जाता है। उनके भाई का नाम विश्रवा था जो रावण के पिता थे। पुलस्त्य ऋषि ब्रह्मा के पुत्र थे। ऋषि वशिष्ठ के समान यह भी मित्रावरूणी के पुत्र हैं।

३.महर्षि अगस्त्य ने विदर्भ-नरेश की पुत्री लोपामुद्रा से विवाह किया, जो विद्वान और वेदज्ञ थीं। दक्षिण भारत में इसे मलयध्वज नाम के पांड्य राजा की पुत्री बताया जाता है। वहां इसका नाम कृष्णेक्षणा है। इनका इध्मवाहन नाम का पुत्र था।

४.महर्षि अगस्त्य की गणना सप्तर्षियों में की जाती है। ये भगवान शंकर से सबसे श्रेष्ठ ७ शिष्यों में से एक थे। महर्षि अगस्त्य राजा दशरथ के राजगुरु थे। 

५.महर्षि अगस्त्य को मं‍त्रदृष्टा ऋषि कहा जाता है, क्योंकि उन्होंने अपने तपस्या काल में उन मंत्रों की शक्ति को देखा था। ऋग्वेद के अनेक मंत्र इनके द्वारा दृष्ट हैं। महर्षि अगस्त्य ने ही ऋग्वेद के प्रथम मंडल के १६५ सूक्त से १९१ तक के सूक्तों को बताया था। साथ ही इनके पुत्र दृढ़च्युत तथा दृढ़च्युत के पुत्र इध्मवाह भी नवम मंडल के २५वें तथा २६वें सूक्त के द्रष्टा ऋषि हैं।

६.ऋषि अगस्त्य ने ही इन्द्र और मरुतों में संधि करवाई थी।

७.अगस्त्य ऋषि ने ही विंध्यांचल की पहाड़ी में से दक्षिण भारत में पहुंचने का सरल मार्ग बनाया था। यह भी कहा जाता है कि इन्होंने अपनी मंत्र शक्ति के बल पर विंध्याचल पर्वत को झुका दिया था।

८.महर्षि अगस्त्य समुद्रस्थ राक्षसों के अत्याचार से देवताओं को मुक्ति दिलाने हेतु सारा समुद्र पी गए थे। अगस्त्य के बारे में कहा जाता है कि एक बार इन्होंने अपनी मंत्र शक्ति से समुद्र का समूचा जल पी लिया था।

९.इसी प्रकार "इल्वल तथा वातापी" नामक दुष्ट दैत्यों द्वारा हो रहे ऋषि-संहार को इन्होंने ही बंद करवाया था। मणिमती नगरी के इल्वल तथा वातापी नामक दुष्ट दैत्यों की शक्ति को नष्ट कर दिया था। अगस्त्य ऋषि के काल में राजा श्रुतर्वा, बृहदस्थ और त्रसदस्यु थे। इन्होंने अगस्त्य के साथ मिलकर दैत्यराज इल्वल को झुकाकर उससे अपने राज्य के लिए धन-संपत्ति मांग ली थी।

१०.दक्षिण भारत में ऋषि अगस्त्य सर्वाधिक पू्ज्यनीय हैं। श्रीराम अपने वनवास काल में ऋषि अगस्त्य के आश्रम में पधारे थे। 

११.ऋषि अगस्त्य के वंशजों को अगस्त्य वंशी कहा गया है। अगस्त्य वंश के गोत्रकार करंभ (करंभव) कौशल्य, क्रतुवंशोद्भव, गांधारकावन, पौलस्त्य, पौलह, मयोभुव, शकट (करट), सुमेधस ये गोत्रकार अगस्त्य, मयोभुव तथा महेन्द्र इन 3 प्रवरों के हैं। अगस्त्य, पौर्णिमास ये गोत्रकार अगस्त्य, पारण, पौर्णिमास इन ३ प्रवरों के हैं।


Recent Posts

See All
"माझा नातू अगस्त्य - भाग २२"

"माझा नातू अगस्त्य - भाग २२" ब्रिटनमधे जन्माला आलेल्या माझ्या नातवाचे नाव ब्रिटनचे भारतीय मूळाचे पंतप्रधान "ऋषी सुनक" यांच्या प्रमाणेच...

 
 
 
"माझा नातू अगस्त्य - भाग १७"

"माझा नातू अगस्त्य - भाग १७" ब्रिटनमधे जन्माला आलेल्या माझ्या नातवाचे नाव ब्रिटनचे भारतीय मूळाचे पंतप्रधान "ऋषी सुनक" यांच्या प्रमाणेच...

 
 
 
"माझा नातू अगस्त्य - भाग १५"

"माझा नातू अगस्त्य - भाग १५" ब्रिटनमधे जन्माला आलेल्या माझ्या नातवाचे नाव ब्रिटनचे भारतीय मूळाचे पंतप्रधान "ऋषी सुनक" यांच्या प्रमाणेच...

 
 
 

Comments

Rated 0 out of 5 stars.
No ratings yet

Add a rating
bottom of page